5 Simple Statements About hindi kahani Explained
5 Simple Statements About hindi kahani Explained
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hindi kahani
बच्चों की प्यारी गोरैया चिड़िया। यह सबके घर में प्यार से रहती है। जो दाना-पानी देता है, उसके घर तो मस्ती से रहती है। कूलर के पीछे चुनमुन का घोंसला है। उसके तीन बच्चे है , यह अभी उड़ना नहीं जानते।
कोई बारह बज चुके थे। दुनिया के पर्दे से स्वप्न की रानी झाँक रही थी—विजेता की भाँति, उसके नूपुर के मिलन-गीत से पृथ्वी मूर्छित-सी होती जाती थी। वकील केशव के उस बड़े मकान के सभी कमरों की बत्तियाँ बुझ चुकी थीं, केवल सहाना का कमरा तब भी बिजली-शिखा से उज्ज्वल उषादेवी मित्र
नैतिक शिक्षा – सदैव सत्य बोलना चाहिए और सत्य का साथ देना चाहिए। व्यक्ति का स्वभाव ही उस व्यक्ति का परिचय है।
अब उस व्यक्ति के पास दो गांव हैं और पचास से अधिक बकरियां भी।
स्वतंत्रता दिवस की होने वाली परेड में सभी साथियों के साथ पूर्व अभ्यास निरंतर करता रहा और अत्यंत उत्साह से भरा हुआ था। परेड वाले दिन जब वह स्कूल के लिए तैयार होने लगा तो रमेश ने अपने दादा जी को खोजा। दादाजी रमेश के साथ निरंतर विद्यालय जाया करते थे उसे पहुँचाने।
बिहार की वो सीट, जहाँ जेडीयू के दिग्गज नेता के सामने हैं एक 'बाहुबली' की बीवी
(एक) काशी जी के दशाश्वमेध घाट पर स्नान करके एक मनुष्य बड़ी व्यग्रता के साथ गोदौलिया की तरफ़ आ रहा था। एक हाथ में मैली-सी तौलिया से लपेटी हुई भीगी धोती और दूसरे में सुरती की गोलियों की कई डिबियाँ और सुँघनी की एक पुड़िया थी। उस समय दिन के ग्यारह बजे बंग महिला (राजेंद्रबाला घोष)
माँ को अपने बेटे, साहूकार को अपने देनदार और किसान को अपने लहलहाते खेत देखकर जो आनंद आता है, वही आनंद बाबा भारती को अपना घोड़ा देखकर आता था। भगवत-भजन से जो समय बचता, वह घोड़े को अर्पण हो जाता। वह घोड़ा बड़ा सुंदर था, बड़ा बलवान। उसके जोड़ का घोड़ा सारे सुदर्शन
चूहा बोतल पर चढ़ा किसी तरह से ढक्कन को खोलने में सफल हो जाता है। अब उसमें चूहा मुंह घुसाने की कोशिश करता है। बोतल का मुंह छोटा था मुंह नहीं घुसता। फिर चूहे को आइडिया आया उसने अपनी पूंछ बोतल में डाली। पूंछ शरबत से गीली हो जाती है उसे चाट-चाट कर चूहे का पेट भर गया। अब वह गोलू के तकिए के नीचे बने अपने बिस्तर पर जा कर आराम से करने लगा।
बहुत-से लोग यहाँ-वहाँ सिर लटकाए बैठे थे जैसे किसी का मातम करने आए हों। कुछ लोग अपनी पोटलियाँ खोलकर खाना खा रहे थे। दो-एक व्यक्ति पगड़ियाँ सिर के नीचे रखकर कम्पाउंड के बाहर सड़क के किनारे बिखर गए थे। छोले-कुलचे वाले का रोज़गार गर्म था, और कमेटी के नल मोहन राकेश
हिंदी कहानियां मोरल के साथ जो आपको नैतिक शिक्षा तो देगी ही परन्तु साथ ही साथ जीवन के महत्त्वपूर्ण व मूलभूत बातें भी सिखाएंगी।
इस लेख में सन्दर्भ या स्रोत नहीं दिया गया है।
यह किसी ऐसे फ़ेबल जैसी कहानी है जो हिंदी कहानी के इतिहास में हमेशा बनी रहेगी. इसे पढ़ते हुए आधुनिक-सभ्यता के उन पूर्व दार्शनिकों का कथन याद आता है : 'एवरीवन इज़ डिसीविंग दि अदर एंड एवरीवन इज़ डिसीव्ड बाय दि अदर.
जिसका काम उसी को साजे , शेर ने आदमी की नक़ल करनी चाही और परिणाम गलत साबित हुआ।